श्री वाराही कवचम् लौंग, लौंगा, लौंगा! बैर एक लौंग मेरी आती-पाती ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं अमुक ग्राह्यार्थे सर्व जगत् हितकारिणी सर्वदुःख निवारिणी सर्व व्याधि नाशिनी नमो नमः स्वाहा॥ बांध इन्द्र की बांध तारा, बांधू बिद लोही की धारा, उठे इन्द्र न बोले बाव, सूक साख पूंजी हो जाय, बन ऊपर लोकी कड़े https://landenkibvi.pages10.com/helping-the-others-realize-the-advantages-of-वश-करण-म-त-र-क-स-च-ह-ए-71006457